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उच्च ध्येय की प्राप्ति करने वाले हर एक को इन पाँच अवस्थाओं से गुजरना ही पड़ता है -1) उपहास, 2) उपेक्षा 3) गालियाँ-शाप 4) दमनतन्त्र 5) प्रखर विरोध; और उसके बाद ही प्रतिष्ठा मिलती है।

उच्च ध्येय की प्राप्ति करने वाले हर एक को इन पाँच अवस्थाओं से गुजरना ही पड़ता है -1) उपहास, 2) उपेक्षा 3) गालियाँ-शाप 4) दमनतन्त्र 5) प्रखर विरोध; और उसके बाद ही प्रतिष्ठा मिलती है।

तृप्त राहणे म्हणजे माझे ध्येय कमी प्रमाणात ठेवणे असे नव्हे. माझे ध्येय उच्च असले पाहिजे, मात्र जे काही आज माझ्याजवळ आहे, मी जसा आहे त्याने मी तृप्त असायला हवे.

तृप्त राहणे म्हणजे माझे ध्येय कमी प्रमाणात ठेवणे असे नव्हे. माझे ध्येय उच्च असले पाहिजे, मात्र जे काही आज माझ्याजवळ आहे, मी जसा आहे त्याने मी तृप्त असायला हवे.

तृप्त रहना इसका अर्थ ‘अपना ध्येय कम प्रमाण में रखना’ यह नहीं है। मेरा ध्येय उच्च होना चाहिए, लेकिन जो कुछ भी आज मेरे पास है, मैं जैसा हूँ उससे मुझे तृप्त रहना चाहिए।

तृप्त रहना इसका अर्थ ‘अपना ध्येय कम प्रमाण में रखना’ यह नहीं है। मेरा ध्येय उच्च होना चाहिए, लेकिन जो कुछ भी आज मेरे पास है, मैं जैसा हूँ उससे मुझे तृप्त रहना चाहिए।