‘स्वतन्त्रता’ का अर्थ ‘मनमानी करना’ नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है, अपने मन से प्रेमपूर्वक अनुशासन का पालन करना और विचारों में लचीला होना।
स्वयं को विशिष्ट क्रम से बांधे रखने को अनुशासन कहते हैं। जिस जीवन में अनुशासन नहीं होता, उस जीवन का विकास नहीं होता। जिस कार्य में अनुशासन नहीं होता, उस कार्य का भी विकास नहीं होता।