‘मैं संकट में से बाहर आ गया हूँ’ यह भावना मन में जिस पल उत्पन्न होती है, उस पल को मुझे अपने जीवन में हमेशा जतन कर रखना चाहिए।
मेरे जीवन में परमेश्वर के ही नियमों के अनुसार मुझे अपना जीवन व्यतित करने आना चाहिए। यदि इन नियमों से मैं दूर चला जाता हूँ, तो मेरा विनाश निश्चित है।