बौद्धिक परिश्रम और शारीरिक परिश्रम इन दोनों का भी हर एक के लिए समान प्रमाण में होना आवश्यक होता है।
‘101वें घाव से पत्थर टूट गया’ - नहीं, यह पहले के 100 घावों का परिणाम है, अन्तिम घाव तो केवल निमित्त है।