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भक्त चाहे कुछ भी और कितना भी क्यों न माँग ले, मगर वह यदि उसके लिए अनुचित है, तो परमात्मा, सद्‍गुरु या सद्‍गुरुतत्त्व अपने उस भक्त को वह कभी भी नहीं देते।

भक्त चाहे कुछ भी और कितना भी क्यों न माँग ले, मगर वह यदि उसके लिए अनुचित है, तो परमात्मा, सद्‍गुरु या सद्‍गुरुतत्त्व अपने उस भक्त को वह कभी भी नहीं देते।