मेरे बाह्य मन पर परमेश्वर का शासन जो ठीक से चलने देता है वह हिस्सा यानी परमेश्वरी मन। जितने प्रमाण में परमेश्वरी मन मेरे जीवन में विकसित होता है, उतने ही प्रमाण में मेरे जीवन में परमेश्वरी कृपा मुझे प्राप्त होती है।